ज्यादा उम्र मे माँ बनने की नई परंपरा, आज के नए जमाने मे हर चीज़ अब नए तरीके से हो रहे है,हर चीज़ बहुत तेज़ी से बदल रहा है । जिन बातों को समाज कभी असामान्य मानता था आज के दौर मे नए मानक बनते जा रहे है । उनही मे से एक ज्यादा उम्र मे माँ बनना । पहले जहा 20 से 25 का उम्र मातृत्व के लिए आदर्श माना जाता था वही अब 30 से 40 या उससे अधिक उम्र मे भी महिलाए गर्भ धारण कर रही है । यह बदलाव महिलाओ की आधुनिक सोच और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनता जा रहा है ।
शिक्षा और कैरियर को प्राथमिकता देना
आज की महिलाए पहले शिक्षा और रोजगार को प्राथमिकता दे रही है। वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना चाहती है और अपने परिवार के विकाश मे सहयोग करना चाहती है । इसके लिए वो सामाजिक वयवस्था शादी और मातृत्व को कई वर्षो तक टाल देती है जब जीवन मे कुछ हासिल कर लेती है तब माँ बनाने की दिशा मे कदम बढ़ाती है
चिकित्सा विज्ञान का बढ़ता दायरा
IVF , टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी तकनीक ने माँ बनने की सीमाओ को तोड़ दिया है । अब महिलाए 30 या 40 के उम्र मे भी सुरक्षित गर्भ धारण कर सकती है । जिससे उन्हे जीवन मे सही समय पर माँ बनने की आज़ादी देती है
निर्णय लेने की आज़ादी और मानसिक परिपक्वता
ज्यादा उम्र मे महिलाए मानसिक रूप से अधिक परिपक्व हो जाती है उन्हे अपनी जीमेदारियों और कर्तव्यो का बेहतर ज्ञान होता है । ऐसा मातृत्व अधिक समझदार और स्थिर माना जाता है
हालाकी ज्यादा उम्र मे माँ बनने मे MEDICAL COMPLICATION भी होता है जैसे HIGH BLOOD PRESSURE ,प्रसव के दौरान जटिल समस्या इत्यादि
ज्यादा उम्र मे माँ बनना अब अपवाद नहीं रहा ये महिलाओ की नई सोच का प्रतीक बन गया है । महिलाओ की आज़ादी जागरूकता का जीता जागता उदाहरण बनता जा रहा है ।इस सोच ने महिलाओ को ये सिखाया की माँ बनने की कोई उम्र से बंधी परंपरा नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत निर्णय है जिसे हर महिला अपने परिस्थिति के अनुसार ले सकती है ।
पटना से K.K की रिपोर्ट